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Know the auspicious time for house construction according to Vastu and Astrology

Know the auspicious time for house construction according to Vastu and Astrology
Posted on - 10/27/2025| Posted by - Astrologer Rahul| 159 Views

जानिए वास्तु और ज्योतिष के अनुसार घर निर्माण का शुभ समय


आचार्य राहुल सिंह, वास्तु प्राभाकर, ज्योतिषाचार्य (अनुभव: 10 वर्ष)

भारत की परंपरा में घर निर्माण केवल एक भौतिक क्रिया नहीं, बल्कि यह एक आध्यात्मिक संस्कार भी है। घर मनुष्य के जीवन का केंद्र होता है — जहाँ से सुख, शांति, समृद्धि और ऊर्जा का प्रवाह होता है। इसलिए घर बनाने से पहले उसके ग्रह, नक्षत्र, दिशा और काल का विचार अत्यंत आवश्यक माना गया है।

ज्योतिष के अनुसार, घर निर्माण का कार्य तभी फलदायी होता है जब व्यक्ति की कुंडली में शनि, सूर्य, राहु, केतु और अन्य ग्रह शुभ भाव में स्थित हों। अन्यथा यह कार्य अधूरा रह जाता है, धन की हानि होती है या फिर जीवन में बाधाएँ उत्पन्न होती हैं। इस लेख में हम समझेंगे कि किस प्रकार ग्रहों की स्थिति, राशि और काल के अनुसार घर बनाना चाहिए और कब नहीं बनाना चाहिए।

शनि और घर का गहरा संबंध

शनि को ज्योतिष में “घर का ग्रह” कहा गया है। वही व्यक्ति को घर बनवाता भी है और गिरवाता भी है। शनि के शुभ होने पर व्यक्ति सुंदर और स्थायी घर का स्वामी बनता है, जबकि अशुभ शनि व्यक्ति को जीवनभर किरायेदार बनाकर रख देता है।

शनि जब उच्च राशि (तुला) में या शुभ स्थान (2, 7, 10, 11 भाव) में होता है, तब घर का निर्माण शुभ होता है। परंतु यदि शनि नीच राशि (मेष) या पाप भावों (6, 8, 12) में हो तो घर गिर सकता है या उससे सुख नहीं मिलता।

ग्रहों का घर पर प्रभाव

जन्म कुंडली के अनुसार, भाव नं. 4 और भाव नं. 7 घर के सुख और स्थायित्व से जुड़ा होता है।

  • भाव नं. 4 घर की स्थिति, नींव और आराम का भाव है।

  • भाव नं. 7 घर के पूर्ण होने और सुखद निवास से संबंधित होता है।

यदि ये भाव शुभ ग्रहों से युक्त हों तो व्यक्ति का घर दीर्घकाल तक स्थायी रहता है। यदि अशुभ ग्रह जैसे शनि, राहु, केतु या सूर्य यहाँ बैठे हों तो घर बार-बार मरम्मत की स्थिति में आता है, या आर्थिक संकट लाता है।

उदाहरण द्वारा समझें

यदि शनि और सूर्य दोनों घर में दृष्टि देते हों, तो दाहिने हाथ की दिशा (दक्षिण) और बाएँ हाथ की दिशा (पूर्व) दोनों प्रभावित होती हैं। ऐसे घर में व्यक्ति को संघर्ष, झगड़े, और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ झेलनी पड़ती हैं।

यदि शनि का साथ राहु या केतु से हो, तो घर की नींव कमजोर होती है। घर बनते ही दरारें आने लगती हैं या गृहस्वामी को आर्थिक संकट घेर लेता है।
परंतु यदि शनि का योग बृहस्पति या चंद्रमा से हो तो घर शुभ फल देता है और उसमें रहने वाले को यश, आयु और सम्मान प्राप्त होता है।

घर निर्माण से पहले भूमि परीक्षण

घर बनाने से पहले भूमि की ऊर्जा, दिशा और शुद्धता की जांच अनिवार्य है। वास्तुशास्त्र में भूमि परीक्षण के लिए कई विधियाँ बताई गई हैं — जैसे मिट्टी की गंध, रंग, बनावट और उसमें से उत्पन्न ध्वनि।

आचार्यों के अनुसार, जब भूमि की खुदाई शुरू करने से पहले उस स्थान की मिट्टी को ४०–४८ दिन तक किसी पात्र में रखकर उसका परीक्षण किया जाए तो स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि वह भूमि शुभ है या अशुभ।
यदि उस मिट्टी से दुर्गंध आए, दरार पड़े या रंग बदल जाए तो वह भूमि शनि या राहु दोष से ग्रसित मानी जाती है। ऐसी स्थिति में वहाँ निर्माण शुरू करने से पहले भूमि शुद्धिकरण यज्ञ और वास्तु पूजन करना अनिवार्य होता है।

नींव डालने का शुभ मुहूर्त

वास्तु और ज्योतिष के अनुसार, नींव डालना एक अत्यंत पवित्र कार्य है। जिस दिन नींव रखी जाती है, वही दिन पूरे घर का भाग्य निर्धारित करता है।

आचार्य राहुल सिंह के अनुसार,

“नींव डालने से पहले जिस दिन चंद्रमा शुभ नक्षत्र (रोहिणी, मृगशिरा, हस्त, अनुराधा) में हो और ग्रह शनि, बृहस्पति व चंद्र अनुकूल हों, वही दिन श्रेष्ठ होता है।”

यदि नींव अशुभ ग्रहों के प्रभाव में रखी जाए तो घर की नींव कमजोर हो जाती है और जीवन में अस्थिरता आती है।

शनि की दशा और घर निर्माण के प्रभाव

शनि का प्रभाव हर जातक पर अलग-अलग होता है। यहाँ बारह भावों में शनि के प्रभाव को विस्तार से समझाया गया है:

🔹 शनि नं. 1

यदि जातक स्वयं शनि के प्रभाव से घर बनाए, तो सब कुछ नष्ट हो सकता है। परंतु यदि शनि शुभ (7, 10, 11 भाव) में है, तो घर स्थायी और शुभ फल देने वाला होता है।

🔹 शनि नं. 2

घर तब ही बनेगा जब शनि अपनी पूर्ण दृष्टि देगा। ऐसा घर व्यक्ति की मेहनत और भाग्य से बनता है।

🔹 शनि नं. 3

यदि व्यक्ति घर बनाए बिना तीन बार प्रयास करे तो धन हानि होगी। परंतु तीसरे प्रयास में सफलता मिलेगी।

🔹 शनि नं. 4

ऐ व्यक्ति को स्वयं का घर नहीं बनाना चाहिए। अपने बनाए घर से वैराग्य या क्षति मिलती है।

🔹 शनि नं. 5

ऐ जातक घर बनाते हैं लेकिन पहले संतान की कुर्बानी या किसी पारिवारिक संकट के बाद ही सफलता मिलती है।

🔹 शनि नं. 6

36 से 42 वर्ष की आयु के बाद ही घर बनाना शुभ होता है। इससे पहले किया गया निर्माण हानि या संबंध विच्छेद ला सकता है।

🔹 शनि नं. 7

पुराने घर के नवीनीकरण से लाभ होगा। परंतु नया घर बनाते समय परिवार में मतभेद बढ़ सकते हैं।

🔹 शनि नं. 8

जैसे ही घर बनाना शुरू करता है, मृत्यु या भारी संकट का योग बनता है। अतः शुभ ग्रहों की दशा देखकर ही कार्य करें।

🔹 शनि नं. 9

यदि जातक अपनी कमाई से घर बनाता है, तो पिता या गुरु पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए परामर्श लेकर ही निर्माण करें।

🔹 शनि नं. 10

जब तक घर पूर्ण नहीं होता, व्यक्ति को मानसिक शांति नहीं मिलती। निर्माण में बाधाएँ आती हैं।

🔹 शनि नं. 11

55 वर्ष की आयु के बाद घर बनाना शुभ होता है। दक्षिणमुखी घर से बचना चाहिए, अन्यथा दीर्घ रोगों का भय रहता है।

घर और धन योग

ज्योतिष में कहा गया है —

“घर तभी बनता है जब चतुर्थ भाव में शुभ ग्रह और द्वादश भाव में धन योग बन रहा हो।”

यदि द्वादश भाव (खर्च का भाव) पर राहु या केतु का प्रभाव है, तो धन व्यर्थ जाता है। घर बनता तो है, पर अधूरा रह जाता है या कर्ज में डूब जाता है।

वास्तु दृष्टि से, दक्षिण-पश्चिम कोण में भारी वस्तुएँ रखना, उत्तर-पूर्व में पूजा स्थल बनाना और मुख्य द्वार को पूर्व या उत्तर की दिशा में रखना धन योग को स्थिर करता है।

घर बनाते समय ध्यान देने योग्य बातें

  1. भूमि पूजन हमेशा विष्णु या गणेश मुहूर्त में करें।

  2. नींव राहु मुख विचार द्वारा कोने से रखें और उत्तर-पूर्व दिशा में कार्य पूर्ण करें।

  3. घर का हर कोना 90 डिग्री के कोण पर होना चाहिए।

  4. मुख्य द्वार पर शुभ चिह्न (स्वस्तिक, ओम, कलश) बनाना आवश्यक है।

  5. निर्माण के दौरान शुक्रवार और मंगलवार को कार्य आरंभ न करें।

  6. घर के रंग और सामग्री भी ग्रहों के अनुसार चुनें। जैसे —

    • शनि के प्रभाव में नीला, धूसर या काला रंग शुभ है।

    • सूर्य के प्रभाव में हल्का पीला या सुनहरा रंग उपयुक्त है।

घर की पूर्णता और गृहप्रवेश

घर पूर्ण होने पर गृहप्रवेश का मुहूर्त अत्यंत महत्व रखता है।
गृहप्रवेश के लिए अग्नि और वायु तत्व के नक्षत्र शुभ माने गए हैं — जैसे हस्त, पुनर्वसु, उत्तरा फाल्गुनी आदि।
अशुभ नक्षत्रों (भरणी, कृत्तिका, पुष्य, अश्लेषा) में गृहप्रवेश नहीं करना चाहिए।

गृहप्रवेश के दिन वास्तु पूजन, पंच देवता स्थापना और नवग्रह शांति अवश्य करनी चाहिए।

घर में ग्रह दोष निवारण के उपाय

  1. शनि दोष होने पर घर में शनि यंत्र स्थापित करें और शनिवार को तिल का तेल दान करें।

  2. राहु-केतु दोष के लिए नाग नागिन की प्रतिमा भूमि में रखें।

  3. सूर्य दोष के लिए लाल झंडा और ताम्र कलश मुख्य द्वार पर रखें।

  4. यदि घर बनते समय बार-बार बाधा आए, तो हनुमान चालीसा का पाठ प्रति मंगलवार करें।

घर निर्माण केवल भौतिक समृद्धि नहीं बल्कि आध्यात्मिक स्थिरता का प्रतीक है।
जब ग्रह शुभ हों, दिशा अनुकूल हो और मन शुद्ध हो — तभी बना घर “स्वर्ग” बनता है।
अन्यथा वही घर “बंधन” बन जाता है।

आचार्य राहुल सिंह के अनुसार,

“घर केवल ईंट और पत्थर से नहीं बनता, वह आपके कर्म, ग्रह और नीयत से बनता है।”

इसलिए घर बनाने से पहले कुंडली, ग्रह दशा और भूमि की ऊर्जा की जाँच अवश्य करें।
यही सच्चा वास्तु और ज्योतिष का संगम है — जहाँ विज्ञान, परंपरा और अनुभव एक साथ मिलकर मनुष्य के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लाते हैं।


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